यूपी में जल्द ही लिफ्ट एक्ट लागू होने वाला है. इसके ड्राफ्ट में सोसाइटीज के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) और AMC करने वाली एजेंसी की जवाबदेही तय करने का प्रावधान किया गया है. साथ ही मौजूदा लिफ्ट और एस्कलेटर्स को भी एक्ट के दायरे में लाया जाएगा. लिफ्ट में ऑटो रेसक्यू डिवाइस लगाना जरूरी होगा तो वहीं सार्वजनिक स्थलों पर लिफ्ट में ऑपरेटर का होना भी जरूरी किया जाएगा. फाइनल ड्राफ्ट नवम्बर महीने में सामने आने वाला है.
यूपी के अलग-अलग हिस्सों खास तौर पर एनसीआर क्षेत्र में लिफ्ट में होने वाली दुर्घटनाओं में अब जवाबदेही तय हो सकेगी. जल्द ही यूपी में पहला लिफ्ट एक्ट लागू होने वाला है. इसके फाइनल ड्राफ्ट को लेकर तैयारी चल रही है. इसके प्रावधानों को तय कर लिया गया है. 15-20 दिन में फाइनल ड्राफ्ट सामने आ जाएगा.
इसके बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिए इसे भेजा जाएगा. कई प्रदेशों के लिफ्ट एक्ट अध्ययन करने के बाद इसे तैयार किया जा रहा है, जिसमें हाउजिंग सोसायटीज में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) और लिफ्ट की वार्षिक मेंटेनेंस (AMC) की जिम्मेदारी लेने वाली एजेंसी की जवाबदेही तय करने का प्रावधान रखा गया.
दुर्घटना पर एक लाख का जुर्माना
दरअसल, कुछ समय से लिफ्ट में दुर्घटनाओं के मामले सामने आते रहे हैं. इसमें ज्यादातर मामलों में मेंटेनेंस में लापरवाही और नियमों का पालन न होने की बात सामने आई है. काफी समय से लिफ़्ट एक्ट की मांग की जाती रही है. नए ड्राफ़्ट के अनुसार दुर्घटना होने पर 1 लाख का जुर्माना और मुआवजे का प्रावधान होगा. ये भवन या प्रतिष्ठान के मालिक को देना होगा.
दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसे मुआवजा देने की जिम्मेदारी बिल्डिंग या मॉल या भवन(जिसमें लिफ्ट लगा है) के मालिक की होगी. इसके लिए थर्ड पार्टी इन्शुरन्स की बात भी कही जा रही है. साथ ही ये देखा गया है कि लिफ़्ट में दुर्घटनाओं की वजह इसकी मेंटेनेंस होती है. ऐसे में हाउजिंग सोसायटीज के रेज़िडेंट वेलफ़ेयर एसोसिएशन (RWA) को जवाबदेह बनाया जाएगा.
लिफ्ट में ऑटो रेसक्यू डिवाइस लगाने का बनेगा नियम
लिफ्ट की वार्षिक मेंटेनेंस(AMC)का कॉन्ट्रैक्ट करने वाली एजेंसी भी जवाबदेह होगी, जो एजेन्सी एएमसी करते हैं उनको त्वरित रेस्पांस करना होगा और कैसे मेंटेनेंस कर रहे हैं, ये बताना होगा.
लिफ्ट एक्ट तैयार करने वाले ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता का कहना है कि ‘जो सार्वजनिक स्थानों पर लिफ्ट लगी होती हैं उसमें ज़्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. ह्यूमन लाइफ़ या एनिमल लाइफ का नुकसान होने कर मुआवजा देना होगा.’ हर लिफ़्ट में ऑटो रेसक्यू डिवाइस (Auto rescue device) लगाना भी जरूरी होगा.
मौजूदा समय में काम कर रही लिफ़्ट को भी एक्ट के दायरे में लाया जाएगा
खास बात ये है किजो नए बिल्डिंग या भवन बनेंगे या जहां भी लिफ़्ट होगा, वहां तो ये लागू होगा. पहले से जो लिफ्ट हैं उनको भी इस एक्ट के दायरे में लाया जाएगा. अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि ‘पहले से काम कर रहे लिफ़्ट के लिए 6 महीने में रेजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा और उसके बाद इसे अपग्रेड करने के लिए डेढ़ साल का समय दिया जाएगा.’
दरअसल, लिफ्ट और एस्केलेटर का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कई विभागों के कोऑर्डिनेशन और बैठकें हुईं. ऊर्जा विभाग, आवास विकास, लोक निर्माण विभागों की समन्वय बैठक इस पर हो चुकी है. अभी तक के तैयार ड्राफ्ट को मुख्य सचिव भी देख चुके हैं.
इसके प्रावधान के अनुसार किसी भी बिल्डिंग या सार्वजनिक स्थान पर लिफ्ट का रेजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. लिफ्ट का रेजिस्ट्रेशन मैंडटरी होने के साथ ही लिफ्ट लगाने के बाद भी बताना होगा कि जितने भी नियम हैं, उनका पालन किया गया है या नहीं.
पिछले कुछ समय से प्रदेश में ख़ास तौर पर एनसीआर के शहरों में लिफ़्ट की वजह से दुर्घटनाएँ होती रही हैं. पर यूपी में अब तक कोई लिफ्ट एक्ट नहीं होने की वजह से जवाबदेही तय नहीं हो पाती थी. ग्रेटर नोएडा के जेवर( Jewar) क्षेत्र से विधायक धीरेंद्र सिंह ने लिफ़्ट एक्ट की मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, जिसमें मुख्यमंत्री ने जल्द ही लिफ्ट एक्ट लाने की बात की थी.
धीरेंद्र सिंह ने विधानसभा में भी नियम 51 के तहत लोकमहत्व के इस विषय को उठाया था. धीरेंद्र सिंह का कहना है ‘ लिफ़्ट बनाने वाली कम्पनी की ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए. जिससे लिफ़्ट बनाने में कम्पनी गुणवत्ता का ध्यान रखें और अगर लिफ़्ट में ख़राबी या गुणवत्ता में कमी पायी जाती है तो कम्पनी के लिए भी दंड का प्रावधान होना चाहिए.’ धीरेंद्र सिंह कहते हैं कि वो प्रस्तावित ड्राफ़्ट में इस बात को शामिल करने की मांग करेंगे.
सार्वजनिक स्थलों में लिफ्ट में ऑपरेटर अनिवार्य
ड्राफ़्ट के प्रावधान के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर जो लिफ़्ट लगाए जाएंगे उनमें लिफ़्ट ऑपरेटर ज़रूरी है. साथ ही ऑपरेटर की ट्रेनिंग भी ज़रूरी है. इसको लिफ़्ट एक्ट में शामिल किया गया है. फ़िलहाल एक लाख रुपये जुर्माना रखा गया है. हालांकि, सज़ा की बात पर अभी विचार किया जा रहा है. इसके लिए सम्बंधित विभागों से चर्चा की जा रही है. लिफ़्ट एक्ट और एस्केलेटर पर बिल के ड्राफ़्ट को कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने के बाद आगामी विधानसभा सत्र में इसे पारित कराया जाएगा. इससे पहले इसपर लोगों के सुझाव भी लिए जाएंगे.