+

2 मार्च 2013 को यूं हुआ DSP जिया उल हक का मर्डर! इनसाइड स्टोरी में जानिए राजा भैया का अब क्या होगा

साल 2013 में हुई डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड में कुंडा विधायक राजा भैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या के मामले की जांच CBI से कराने का आदेश दिया है.

What is DSP Jia ul Haq Murder Case: उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में शुमार जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया मुश्किलों में फंसते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या के मामले की जांच CBI से कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि CBI इस हत्याकांड में राजा भैया की कथित भूमिका की जांच करे. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने तीन महीने में मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. ऐसे में आज जानिए क्या है डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड?

कब हुई थी डीएसपी जिया उल हक की हत्या?

मालूम हो कि प्रतापगढ़ जिले में 2 मार्च 2013 को ड्यूटी पर तैनात डीएसपी जिया उल हक की हत्या कर दी गई थी. दरअसल, जिस दिन डीएसपी की हत्या हुई उसी दिन बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की भी हत्या कर दी गई थी. घटना की सूचना मिलने के बाद डीएसपी ग्राम प्रधान को अस्पताल ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इसके बाद शव को गांव लाया गया, जहां मौके भी भीड़ जमा हो गई. इसी भीड़ में से कुछ लोगों ने जिया उल हक पर हमला कर दिया. दरअसल, भीड़ में से किसी ने डीएसपी पर फायर झोंक दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई.

कौन था गोली मारने वाला शख्स?

डीएसपी जिया उल हक को गोली मारने वाला शख्स राजा भैया का कथित तौर पर करीबी बताया गया. इसके बाद इस पूरे में मामले में राजा भैया की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो गए. आरोप लगा कि जिया उल हक रेत खनन और कुछ दंगा मामलों की जांच देख रहे थे, इसी के चलते यूपी के तत्कालीन राज्य मंत्री राजा भैया और उनके सहयोगी डीएसपी की हत्या करवाना चाहते थे.

ADVERTSIEMENT

डीएसपी की पत्नी ने खड़े किए थे ये सवाल

इस मामले में पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में कहा गया कि गोली मारने वाला शख्स नन्हे यादव का करीबी था. मगर डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने इस चार्जशीट पर सवाल खड़े किए. उन्होंने तब सीआरपीसी का हवाला देते हुए कहा था कि मजिस्ट्रेट को जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार है.

facebook twitter