Gorakhpur News: पिता जी, आपकी संपत्ति से एक कौड़ी भी नहीं चाहिए, बहनों को दे देना, सुसाइड नोट की पहली लाइन ही पारिवारिक विवाद की कहानी बयां कर रही है. आगे लिखा है कि अब थक गया हूं, परिवार और खुद से लड़ते-लड़ते, इसलिए सब खत्म कर रहा हूं. यह शब्द है मृतक विवेकानंद दूबे और उनकी धर्मपत्नी माधुरी दूबे की है जिन्होंने रात गृह कलह व आर्थिक तंगी में जहर खाकर जान दे दी.
शुक्रवार की सुबह जंगल धूसड़ स्थित टीनशेड़ के कमरे के बाहर पुरोहित व कमरे में पत्नी का शव अर्धनग्न स्थिति में मिला. कमरे की तलाशी लेने पर डायरी में सुसाइड नोट मिला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की वजह जहरीला पदार्थ खाने की पुष्टि हुई.
मृतक दंपति कर्ज के बोझ से दबा हुआ था, साथ ही वह अपने पिता से काफी दुखी था. मरने से पहले उसने अपने सुसाइड नोट में जो लिखा उसे पढ़कर कोई भी चौक जाएगा. इस मामले में पिपराइच थाना प्रभारी सूरज सिंह ने बताया कि जंगल कौड़िया के जिस किराये के मकान में विवेकानंद दुबे ने पत्नी माधुरी के साथ खुदकुशी की है, वहां वह कुछ दिनों पहले ही रहने आए थे. घर में खटपट होने के बाद ही वह पत्नी को लेकर गोरखपुर चला आया था. उसने पहले पंडिताई की, लेकिन जीविका चलाने में दिक्कत आ रही थी.
इसके बाद ऑटो चलाने का फैसला किया. लेकिन इसके बाद भी बहुत कुछ नहीं बदल पाया. ऑटो की किस्त भरना भी विवेकानंद के लिए मुश्किल हो गया था. पारिवारिक विवाद के बीच ही आर्थिक तंगी से विवेकानंद पूरी तरह से टूट गए और पत्नी के साथ जीवन को ही समाप्त. वहीं पर सुसाइड नोट में विवेकांनद ने लिखा था कि पिता द्वारा उपेक्षित होने के कारण बेटियों को ज्यादा सम्मान देने के कारण हम लोग सुसाइड कर रहे हैं. यानी यह अपने पिता से नाराज थे और पिता से नाराजगी को लेकर ऐसा कदम उठा लिया.