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घोसी उपचुनाव: सपा-बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी, NDA Vs I.N.D.I.A का पहला लिटमस टेस्ट

पूरे देश में 5 सितंबर को 7 जगह विधानसभा के उपचुनाव हैं, जिसमें से उत्तर प्रदेश में घोसी का उपचुनाव भी है. मऊ जिले की…
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पूरे देश में 5 सितंबर को 7 जगह विधानसभा के उपचुनाव हैं, जिसमें से उत्तर प्रदेश में घोसी का उपचुनाव भी है. मऊ जिले की घोसी सीट इस बार बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया है. यूं तो यह चुनाव बीजेपी के दारा सिंह चौहान और सपा के सुधाकर सिंह के बीच है, लेकिन यह एनडीए बनाम इंडिया का एक अघोषित लिटमस टेस्ट भी हो गया है.

मंगलवार को वोटिंग सुबह 7:00 बजे शुरू होगी और शाम 6:00 बजे तक यह वोटिंग होगा जिसके लिए खास तैयारी की गई है. सरकार ने पैरामिलिट्री की कई कंपनियां बुलाई है, ताकि चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके. कुल 239 मतदान केंद्रों के 455 बूथों पर मतदान होगा. पूरे निर्वाचन क्षेत्र को 2 जोन और 27 सेक्टर में बांटा गया है. 2 जोनल और 27 सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं.

 सुरक्षा में तैनात जवान

10 कंपनी PAC इसके अलावा 10 कंपनी सीएपीएफ, 3 अडिशनल एसपी, पांच सीओ, 12 SHO बाहर से आए हैं. महिला पुलिस को बड़ी संख्या में बाहर से बुलाया गया है. रविवार शाम को ही चुनाव प्रचार थम चुका है और अब आखरी घंटे में प्रत्याशी वोटिंग की अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं.

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मतदान से पहले सुधाकर सिंह के बेटे का ऑडियो वायरल हुआ है जिसमें वह एक पुलिस के स्थानीय अधिकारी को जूता मारने की बात कर रहे हैं. सुधाकर सिंह और उनके बेटे के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने सरकारी मशनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है तो बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के नेताओं पर पैसे बांटने का आरोप लगाया है और बाकायदा प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है.

क्या है घोसी का सामाजिक समीकरण?

फिलहाल घोसी का उपचुनाव कांटे के मुकाबले में तब्दील हो चुका है. दोनों पक्ष जीतने के दावे कर रहे हैं, लेकिन सब कुछ सामाजिक और जातीय समीकरण पर टिका है. एक नजर घोसी में जातीय समीकरण पर डाल लें.

जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा 95 हजार मुस्लिम, 90 हजार दलित, 50 हजार राजभर, 50 हजार चौहान, 30 हजार बनिया, 19 हजार निषाद, 15 हजार, क्षत्रिय 15 हजार कोइरी, 14 हजार भूमिहार, 7 हजार ब्राह्मण और 5 हजार कुम्हार हैं.

बीएसपी में कैडर को क्या है निर्देश?

बीएसपी चीफ मायावती इस चुनाव में पूरी तरीके से तटस्थ हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कैडर को यह निर्देश है या तो वह वोट देने न जाएं या फिर जाएं तो नोटा दबाए.

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