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ओम प्रकाश राजभर ने बताई सपा की ‘सबसे बड़ी’ कमी, बोले- उनके पास…

UP Political News: समाजवादी पार्टी के पुराने साथी और हालिया NDA गठबंधन में शामिल होने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभापसा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. बता दें कि यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन ओम प्रकाश राजभर चर्चा के केंद्र में रहे. दरअसल, आज अपने संबोधन में […]
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UP Political News: समाजवादी पार्टी के पुराने साथी और हालिया NDA गठबंधन में शामिल होने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभापसा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. बता दें कि यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन ओम प्रकाश राजभर चर्चा के केंद्र में रहे. दरअसल, आज अपने संबोधन में सपा चीफ अखिलेश यादव, सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने राजभर को लेकर बहुत सी बाते कहीं. वहीं, सत्र खत्म होने के बाद राजभर ने यूपी तक से खास बातचीत की और सपा पर जोरदार हमला बोला.

ओम प्रकाश राजभर ने कहा, “हमें लेकर के सभी पार्टियां संजीदा हैं. हम बीजेपी के साथ थे तो बीजेपी को फायदा हुआ. विधानसभा चुनाव में सपा के साथ रहे तो सपा को फायदा हुआ और अब हमारी भूमिका और बड़ी होगी. राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता. सपा अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है. उनके अंदर लोगों को साथ में लेकर चलने की कला नहीं है. इसीलिए सपा अपना नुकसान करवाती है.”

उन्होंने आगे कहा, “सीएम योगी ने भी कहा कि सपा के लिए मायावती भी गलत थीं, सोनिया भी गलत थीं, चौधरी चरण सिंह भी गलत थे, चाचा भी गलत थे और अब राजभर भी गलत हो गए. समाजवादी पार्टी को अपनों की पहचान नहीं है.”

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2022 में सपा के साथ राजभर ने मिलाया था हाथ

राजभर की पार्टी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) से हाथ मिलाया और छह सीटें जीतीं. उस चुनाव में राजभर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ‘खेला होबे’ के नारे की तर्ज पर ‘खड़ेदा होबे’ का नारा दिया था. यह राज्य सत्ता से भाजपा को ‘बाहर निकालने’ का आह्वान था.

2017 में पहली बार भाजपा और सुभापसा साथ आए थे

गौरतलब है कि सुभासपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था और चार सीटें जीतीं थीं. राजभर को गठबंधन के सहयोगी के तौर पर कैबिनेट मंत्री बनाया गया था लेकिन उन्होंने पिछड़ों और वंचितों के साथ अन्याय का आरोप लगाते हुए सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ही खिलाफ मोर्चा खोल लिया था इसकी वजह से सरकार के सामने कई बार असहज स्थिति अभी पैदा हुई थी. लगातार तल्खी के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजभर ने भाजपा गठबंधन से नाता तोड़ लिया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था.

 

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