12 बजे के बाद अचानक नगीना में चंद्रशेखर के लिए बदल गया समीकरण, अचानक ऐसा क्या हो गया? 

ऋतिक राजपूत

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भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखऱ आजाद (फाइल फोटो)
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखऱ आजाद (फाइल फोटो)
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Nagina Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनावों को लेकर बीते शुक्रवार उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर प्रथम चरण का मतदान हुआ. इन सीटों में नगीना लोकसभा सीट भी शामिल थी. नगीना लोकसभा सीट इसलिए भी चर्चाओं में रही, क्योंकि यहां से भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद चुनावी मैदान में थे. विपक्षी इंडिया गठबंधन से टिकट नहीं मिलने के बाद और सपा से भी निराशा हासिल होने के बाद चंद्रशेखर आजाद अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव ताल ठोक रहे थे.

नगीना लोकसभा सीट, दलित-मुस्लिम बहुल्य सीट है और इसी वजह से यहां चंद्रशेखर की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी. दूसरी तरफ भाजपा और बहुजन समाज पार्टी ने भी यहां से अपना पूरा दम लगाकर चुनाव लड़ा था. आपका बता दें कि नगीना लोकसभा सीट पर 59.17 प्रतिशत मतदान हुआ है. अब इसी वजह से नगीना के उम्मीदवारों के दिनों की धड़कन बढ़ गई. मगर इसी बीच चंद्रशेखर आजाद को राहत देने वाली भी खबर सामने आई है.

12 बजे के बाद बदल गया चंद्रशेखर के लिए समीकरण?

दरअसल वोटिंग के दौरान अचानक दिन के 12 बजे के बाद चंद्रशेखर आजाद के लिए समीकरण पूरी तरह से बदल गया. अचानक दलितों और मुस्लिमों की लंबी-लंबी कतार मतदान केंद्रों पर लगने लगी. सुबह तक तो भाजपा और सपा-बसपा के बीच लड़ाई देखने को मिल रही थी. मगर 12 बजने के बाद अचानक दलितों और मुसलमानों की भीड़ मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में आने लगी.   

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दरअसल नगीना में अचानक ये अफवाह उड़ गई कि दलितों और मुसलमानों का वोट बंट रहा है. अफवाह उड़ी की मुसलमानों का वोट सपा और दलितों का वोट बसपा और चंद्रशेखर के बीच बंट रहा है. दूसरी तरफ भाजपा का वोटर पूरी तरह से भाजपा की तरफ ही जा रहा है. जैसे ही ये अफवाह उड़ी तभी दलित और मुसलमान वोटर्स अलर्ट हो गए. 

और लड़ाई में आ गए चंद्रशेखर 

बताया जा रहा है कि ये अफवाह उड़ने के बाद दलितों और मुसलमानों ने एक साथ चंद्रशेखर आजाद को वोट देने शुरू कर दिया. बताया जा रहा है कि दिन के 12 बजे के बाद दलितों और मुसलमानों ने साथ आकर चंद्रशेखर के चुनावी चिन्ह केतली पर जमकर मतदान किया है.

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बताया जा रहा है कि इस दौरान सपा और बसपा को दलितों और मुसलमानों ने ज्यादा वोट नहीं किया. उन्होंने चंद्रशेखर आजाद को ही वोट किया. 

क्या रही वजह? 

माना जा रहा है कि इस बार दलित और मुसलमान अपना वोट बंटने नहीं देना चाह रहे थे. इसी वजह से दोनों ने साथ मिलकर दोपहर बाद चंद्रशेखर आजाद को ही वोट करना शुरू कर दिया और चंद्रशेखर हो ही रेल में ले आए. अब देखना ये होगा कि 4 जून को नगीना का चुनावी परिणाम किस करवट बैठेगा.

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